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बनपाखी सुनो

श्रीनरेश मेहता

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :70
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 8347
आईएसबीएन :0

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बनपाखी सुनो पुस्तक का किंडल संस्करण

Banpakhi Suno - A Hindi Ebook By Naresh Mehta



जिन काव्य-संकलनों ने नयी-कविता को उपलब्धियों के शिखर पर पहुँचाया उनमें ‘बनपाखी! सुनो!!’ निश्चय ही प्रमुख तथा अप्रतिम संकलन रहा है। यह नयी-कविता का ही नहीं वरन् स्वयं नरेशजी के महत् काव्य-विकास में महत्त्वपूर्ण रहा है। ‘उत्सवा’ और ‘तुम मेरा मौन हो’ तक की नरेश जी की अनुपमेय सृजनात्मक उपलब्धियों के सारे गुण उनके इस प्रथम काव्य-संकलन में भी स्पष्ट देखे जा सकते हैं।

इधर यह वर्षों से अनुपलब्ध था लेकिन तब भी इस संकलन की प्रासंगिकता, लोकप्रियता तथा सार्थकता उत्तरोत्तर बढ़ती ही गयी।
आधुनिक कविता के नरेशजी जिस प्रकार विशिष्ट स्रष्टा हैं उसी प्रकार उनका यह प्रथम काव्य-संकलन भी न केवल हिन्दी की आधुनिक कविता बल्कि भारतीय कविता की विशिष्ट सृष्टि है ।

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